गुरुवार, 20 दिसंबर 2012
सोमवार, 17 दिसंबर 2012
गुरुवार, 18 अक्टूबर 2012
सच
मै सच बोलता हू
आजमा के देख लेना।
आजमाने से पहले सौ बार सोच लेना,
दिल तुमहारा टूट ना जाये
क्योकी मै सच बोलता हू
और तुम भी तो मुझे
अपना आइना समझते हो,
कया तुम्हे अच्छा लगेगा
कि आइना तुमहारा सच ना बोले।
मंगलवार, 16 अक्टूबर 2012
मंगलवार, 15 मई 2012
वक्त
अजनबी भला हम कब थे
वक्त ने जुबा पे पहरा बिठा रखा था
तुम जब सामने होते थे
हम असमान झाका करते थे
अजनबी कभी न थे तुम
वक्त ने आँखों को शून्य बना रखा था
वक्त ने जुबा पे पहरा बिठा रखा था
तुम जब सामने होते थे
हम असमान झाका करते थे
अजनबी कभी न थे तुम
वक्त ने आँखों को शून्य बना रखा था
बुधवार, 9 मई 2012
सफर
अब और चलना भला हम कहा चाहे
क्या करे लेकिन मिलता नहीं कोई ठिकाना।
सच कहू अब और चला जाता नहीं
उफ़! मगर ठौर कोई भाता भी नहीं।
क्या करे लेकिन मिलता नहीं कोई ठिकाना।
सच कहू अब और चला जाता नहीं
उफ़! मगर ठौर कोई भाता भी नहीं।
शुक्रवार, 20 अप्रैल 2012
गुरुवार, 19 अप्रैल 2012
काम
हम निकम्मे हुये अपनो के
काम एसा थमा दिया तुने,
बेहतर था ठुकरा देती हमे
कुछ शेर लिखकर गालिब़ ही कहलाते।
काम एसा थमा दिया तुने,
बेहतर था ठुकरा देती हमे
कुछ शेर लिखकर गालिब़ ही कहलाते।
तुम्हारा शहर
इस शहर
में दिन बिताना हुआ मुश्किल
बरसते है पत्थर सर बचाना है मुश्किल।
बारिश के
बूंद से पड़ जाते है छाले
ऐसे तमाशे से मुझको बचा ले।
सच्ची है बात मानो न
मानो
अब तक तो जिन्दा हु आगे तुम जानो ।
तुम्हारा शहर अब तुम्हारे हवाले
मुझको पड़े
है अब जान के लाले ।
बरसते है पत्थर सर बचाना है मुश्किल।
बारिश के बूंद से पड़ जाते है छाले
ऐसे तमाशे से मुझको बचा ले।
सच्ची है बात मानो न मानो
तुम्हारा शहर अब तुम्हारे हवाले
मुझको पड़े है अब जान के लाले ।
जीवन
सपनो के लिये सोना पड़ता है
पाने के लिये कुछ खोना पड़ता है।
खोकर भी गर ना मिला कुछ
सच मानो,
जीवन को फिर ढोना पड़ता है।
पाने के लिये कुछ खोना पड़ता है।
खोकर भी गर ना मिला कुछ
सच मानो,
जीवन को फिर ढोना पड़ता है।
वक्त
पढा तो जाउगाँ मै भी एक दिन
लेकिन सिर्फ शायरी की
तरह।
जानता हू मुझको भी एक दिन
वक्त बदल देगा डायरी की तरह।
मुहब्बत
सुना था मुहब्बत सिर्फ किताबो में होती है
जीवन को हमने एक
किताब बना डाली।
पन्ने पन्ने पे दिखेगा लिखा नाम तुम्हारा
बस एक बार आँखों को
बंद करके तो पढो ।
यहाँ मत आओ
तुम शहर के लोग यहाँ मत आओ
मै गाव हु शहर यहाँ मत
बसाओ।
साँझ ढलते सो जाते है हम
सारी रात अब हमें न जगाओ ।
बहुत दिन से
सोया नहीं
मै सो रहा तुम भी सो जाओ
मै गाव हु शहर यहाँ मत बसाओ ।
तुम क्या जानो
छू कर हाथ तुम्हे जल जाता
काश समझ ये मुझको आता,
तुम क्या जानो सिवाय स्पर्श बिन
मन कैसे उसर बन जाता ।
काश समझ ये मुझको आता,
तुम क्या जानो सिवाय स्पर्श बिन
मन कैसे उसर बन जाता ।
बुधवार, 29 फ़रवरी 2012
हदो को जानते है,
फिक्र ना करो हम हदो को जानते है,
तुमको पहचानते है खुद को भी जानते है।
सागर की लहरो को पहचानते है
किनारो को बाखुबी जानते है,
कितने डूबे कितने बह गये
हर एक को जानते है
जो हसता है,जानते है
कौन डसता है पहचानते है
उड़ते उड़ते फलक मे खो बैठे पंखो को
इसलिये कहते है,फिक्र ना करो,
सरहदो को हम पहचानते है।
बुधवार, 8 फ़रवरी 2012
मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012
तुम्हारा शहर अब तुम्हारे हवाले ।
इस शहर में दिन बिताना हुआ मुश्किल
बरसते है पत्थर सर बचाना है मुश्किल।
बारिश के बूंद से पड़ जाते है छाले
ऐसे तमाशे से मुझको बचा ले।
सच्ची है बात मानो न मानो
अब तक तो जिन्दा हु आगे तुम जानो ।
तुम्हारा शहर अब तुम्हारे हवाले
मुझको पड़े है अब जान के लाले ।
बरसते है पत्थर सर बचाना है मुश्किल।
बारिश के बूंद से पड़ जाते है छाले
ऐसे तमाशे से मुझको बचा ले।
सच्ची है बात मानो न मानो
अब तक तो जिन्दा हु आगे तुम जानो ।
तुम्हारा शहर अब तुम्हारे हवाले
मुझको पड़े है अब जान के लाले ।
मंगलवार, 31 जनवरी 2012
तेरे शहर में
हम तो तेरे शहर में आये थे जीने के लिये
जीने तो तुने न दिया न छोड़ा मरने के लिये ।
तैयार तो मै यु ही था खुद को खोने के लिये
खोद तुने मेरा कब्र दिया, चैन से सोने के लिये ।
शुक्रवार, 27 जनवरी 2012
पुरी कहानी ।
बुधवार, 25 जनवरी 2012
पत्थर दिल
हिलते डुलते पत्थरो को जो इनसान समझ लेते है,
चोट मिलने पर हम कहते है,वो तो पत्थर दिल है
चोट मिलने पर हम कहते है,वो तो पत्थर दिल है
आदमी को आदमी नही समझते,
पत्थर पर रोज माथा पटकते है,
चोट तो लगनी है ,चीख भी निकलेगी,
नाहक इस तरह चिल्लाया न करो।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)