बुधवार, 29 फ़रवरी 2012

हदो को जानते है,

फिक्र ना करो हम हदो को जानते है,
तुमको पहचानते है खुद को भी जानते है।
सागर की लहरो को पहचानते है 
किनारो को बाखुबी जानते है,
कितने डूबे कितने बह गये
हर एक को जानते है
जो हसता है,जानते है 
कौन डसता है पहचानते है
उड़ते उड़ते फलक मे खो बैठे पंखो को
इसलिये कहते है,फिक्र ना करो,
सरहदो को हम पहचानते है।

बुधवार, 8 फ़रवरी 2012

रेत की दीवार

खड़ा हुआ जिसके सहारे
वो आ गिरा मुझपर ।
कहा खबर थी 
ये रेत की दीवार है ।

मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

तुम्हारा शहर अब तुम्हारे हवाले ।

इस शहर में दिन बिताना हुआ मुश्किल
बरसते है पत्थर सर बचाना है मुश्किल।
बारिश के बूंद से पड़ जाते है छाले 
ऐसे तमाशे से मुझको बचा ले। 
सच्ची है बात मानो न मानो
अब तक तो जिन्दा हु आगे तुम जानो ।
तुम्हारा शहर अब तुम्हारे हवाले
मुझको पड़े है अब जान के लाले ।