मंगलवार, 15 मई 2012

वक्त

अजनबी भला हम कब थे
वक्त ने जुबा पे पहरा बिठा रखा था
तुम जब सामने होते थे
हम असमान झाका करते थे
अजनबी कभी न थे तुम
वक्त ने आँखों को शून्य बना रखा था

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