बुधवार, 28 दिसंबर 2011

सिर्फ वे ही नही है।

बाकी की रात आज कैसे कटेगी,
उनके बिना आज बिलकुल अकेला हू।
उनके बिना आज पहला है मेला,
मेले मे लेकिन मै बिलकुल अकेला हू।
बरगद की छांव अब सर पे नही है,
जाड़े की धूप अब चुभने लगी है
।हाथी घोड़े और गुब्बारे वही है,
मेले मे चेहरे भी सारे वही है ,
सब कुछ सही है, सिर्फ वे ही नही है।


(28 दिस. की रात पापा की याद में। )

मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

कोहराम ।


आओ इस रिश्ते को नाम दे दें .
काशी और काबा मे कोहराम मचा दे
मस्जिद मे घण्ट घड़ियाल बजा के
मदिंर मे चलो अजान करा दे,
रास्ते को नया एक नाम देकर ,
रास्ते पर दूर तक साथ चलकर ,
काशी और काबा मे कोहराम मचा दे।

पत्थर के दरवाजे ।

जिस भी दरवाजे पे दस्तक दीया हाथ ने
घायल ही हुआ .
उसे क्या पता था
पत्थर के शहर मे अब दरवाजे भी पत्थर के बनने लगे ।
माना पुरा शहर हो गया पत्थर का
लेकिन ये जरुरी नही
कि हम भी पत्थर के हो जाये ।

शुक्रवार, 9 दिसंबर 2011

गिद्धो की जान खतरे में ।

क्या आप ने कभी गिद्ध देखा है,
शायद आपका जवाब हा मे हो .
लेकिन क्या आपको लगता है की आपके बच्चे ,जटायु के इस वंशजो को देख पाएगे .
देखिए मेरी इस खबर मे

गुरुवार, 8 दिसंबर 2011

कच्ची शराब का कहर।


गोरखपुर और आसपास के इलाके मे कच्ची शराब अब कुटीर उद्धोग का रुप ले चुका है जिसका असर अब इस तरह दिखता है ।

मौत का बिस्तर

हर बेड पर एक ही बिमारी से 100 से ज्यादा मासूमो की मौत का अनोखा और अनचाहा विश्व रिकार्ड ।

कच्ची उम्र मे प्रेम का रोग।


पढने लिखने के उम्र मे आज के बच्चे कर क्या रहे है, देखिये मेरी इस खबर मे ।