शुक्रवार, 20 अप्रैल 2012

जिन्दा हू

बिन तुम्हारे,जिन्दा हू आजतक,

तुम्हे हो भले यकीं,मुझे नही होता।

गुरुवार, 19 अप्रैल 2012

काम

हम निकम्मे हुये अपनो के
काम एसा थमा दिया तुने,
बेहतर था ठुकरा देती हमे
कुछ शेर लिखकर गालिब़ ही कहलाते।

तुम्हारा शहर


इस शहर में दिन बिताना हुआ मुश्किल
बरसते है पत्थर सर बचाना है मुश्किल।
बारिश के बूंद से पड़ जाते है छाले
ऐसे तमाशे से मुझको बचा ले।
सच्ची है बात मानो न मानो
अब तक तो जिन्दा हु आगे तुम जानो ।
तुम्हारा शहर अब तुम्हारे हवाले
मुझको पड़े है अब जान के लाले ।

जीवन

सपनो के लिये सोना पड़ता है
पाने के लिये कुछ खोना पड़ता है।
खोकर भी गर ना मिला कुछ
सच मानो,
जीवन को फिर ढोना पड़ता है।

वक्त

पढा तो जाउगाँ मै भी एक दिन
लेकिन सिर्फ शायरी की तरह।
जानता हू मुझको भी एक दिन
वक्त बदल देगा डायरी की तरह।

रिश्ते

रिश्ते दर्द देते है,
ना बने तो बेहतर।
कट ही जायेगी यू ही जिंदगी
बियाबान मे चलते चलते।

राज

दिल में कुछ राज अब भी दफ़न है
साथ जाएगा मेरे ,मेरा तो वही कफ़न है

मुहब्बत

सुना था मुहब्बत सिर्फ किताबो में होती है
जीवन को हमने एक किताब बना डाली।
पन्ने पन्ने पे दिखेगा लिखा नाम तुम्हारा
बस एक बार आँखों को बंद करके तो पढो ।

यहाँ मत आओ

तुम शहर के लोग यहाँ मत आओ
मै गाव हु शहर यहाँ मत बसाओ।
साँझ ढलते सो जाते है हम
सारी रात अब हमें न जगाओ ।
बहुत दिन से सोया नहीं
मै सो रहा तुम भी सो जाओ
मै गाव हु शहर यहाँ मत बसाओ ।

तुम क्या जानो

छू कर हाथ तुम्हे जल जाता
काश समझ ये मुझको आता,
तुम क्या जानो सिवाय स्पर्श बिन
मन कैसे उसर बन जाता ।