गुरुवार, 20 दिसंबर 2012

मै हवा हू

न सोच मै छुप के नजर रखता हु तुमपे ,
तुमको छूकर लौटती हवाए तेरा हाल कहती है
कभी सर्द कभी गर्म कभी खुशबु भरी हवाए
जब मेरे पास से गुजरती है
सच मानो ,तेरी हर साँस की खबर कहती है
मै चुप हु तो न समझो
मुझे हवाओ को भापना नहीं आता
मै हवा हू , हवा को समां लेता हु ,और एक दिन हवा में मिल हो जाउगा

सोमवार, 17 दिसंबर 2012

अर्थ

हर इबारत मे कई अर्थ छुपे होते है,
हमे जो अच्छा लगता है,हम वही समझ लेते है।