गुरुवार, 3 दिसंबर 2009

आवश्यकता है बालिका बधू की


आवश्यकता है एक सुंदर प्यारी सी सुशिल बहु की मेरे ७ वर्षीय बेटे के लिए जो क्लास २ में पढता हैजिसकी फोटो बगल में लगी है .बहु की आयु अधिकतम ६ साल हो ,दान दहेज़ की जरुरत नही है बल्कि लड़की वाले चाहे तो मै लड़की के पढ़ाई लिखाई का खर्च उठाने को तैयार हूँ ,बल्कि मुझे बेटी नही है तो उसे अपना प्यार देकर मै बेटी के बाप होने का सुख पाना चाहता हूँ ,
लड़का बनारस का रहनेवाला है और ४० एकर खेत के अलवा बनारस में बिच में एक मकान और सुन्दरपुर में २ बिस्वा का प्लाट का अकेला वारिश है ,लड़के की माँ बनारस में ही नौकरी करती है जिनका वेतन ३० हजर प्रतिमाह है ,जो अपना सारा पैसा अपने बेटे के लिए जमा कर रही है ,और मै ख़ुद एक न्यूज़ चैनल में ब्यूरो प्रभारी हूँ .लड़के की शादी तो अभी नही करना चाहता लेकिन मुझे डर है की जिस तरह भ्रूण हत्या के कारन लड़कियों की संख्या लगातार कम हो रही है उस हालत में मेरे बेटे के बड़ा होने पे शादी के लिए कोई लड़की मिलेगी या नही इसलिये हम अपने बेटे की शादी के लिये लड़की की तलाश अभी शुरू कर दिए है ।
जो सज्जन अपने बिटिया का विवाह मेरे बेटे से करना चाहे कृपया मुझसे संपर्क करे

रोहित सिंह
फ़ोन -०९३०५१०७८७७

ईमेल - rohitvns32@rediffmail.com

रविवार, 22 नवंबर 2009

अगले जनम मोहे सिपाही ही कीजो


एक दिन यु ही चलते चलते एक फोटो ले लिया, मगर इसे देख कर अपनी किस्मत पे गुस्सा आता है , कहने को तो पत्रकार हूँ , लेकिन दुर्भाग्य ये है की इन दिनों पत्रकारों की जो हालत बन गए है की उन्हें कोई एक कप चाय भी भी नही पिलाता , मगर इस सिपाही की ठाठ देखो जितनी भी गाड़िया गुजरती है १० रुपल्ली के नोट के साथ सलामी बोनस में दे जाते है क्योकि उसके हाथ में डंडा है और मेरे हाथ में मेरे चैनल का आइडी माइक , जिससे मैंने न जाने कितनो को न्याय दिलाया कितने बेसहारा लोगो की आवाज उठाई , हर ग़लत काम करने वाले की नजरो में खटकता रहता हूँ , और इसी से मुझे ताकत मिलती है लेकिन इन सबके बदले में एक आम आदमी की तरह एक कप चाय रूपी सम्मान की चाहत तो जरुर रखता हूँ मगर इन दिनों ये सम्मान वाली चाय दुस्वप्न बन गई है।
वही हर चौराहे पे खड़े सिपाही के हाथ का डंडा इतना मजबूत है की न चाहते हुए भी भी ठेले वाले से लेकर दुकान वाले तक , टेम्पो से लेकर ट्रक वाले और हलके के सभी प्रतिष्ठित लोग न सिर्फ़ चाय पिलाते है बल्कि दिन में सिपाही जितनी बार गुजरता है उतनी बार सलामी मारते है । कभी कभी मुझे जलन होने लगती इस सिपाही के डंडे से क्योकि मेरे माइक से जयादा मजबूत दिखने लगा है ये डंडा मुझे तो कोई चाय नही पिलाता और उसे रुपल्ली पे रुपल्ली देये जा रहे है , इन बातो को देख मन ख़ुद को समझाता है बेटा रोहित तुझमे जो ताकत है वो किसी में नही क्योकि तुम उस बिरादरी के हो जिसे लोकतंत्र का चौथा खम्भा कहा जाता है इस सिपाही से तू क्यो जलता है ,मेरा प्रश्न ख़ुद से होता है की मेरी औकात १५ साल की नौकरी में इतनी भी नही हो पाए की पत्नी और बेटे को साथ रखने का शाहस जुटा सकू क्योकि बच्चे की पढ़ाई से समझौता कभी नही कर सकता और बेटे को साथ रखुगा तो फ़िर उसे सर्व शिक्षा अभियान के हवाले करना पड़ेगा, और अब तो सिद्धांतो ने इतना निक्कमा बना दिया कीअब तक इमानदार पत्रकार बना हुआ हूँ । इस तरह के ढेर सवाल और जवाब मेरा ख़ुद से होता रहता है और कभी कभी मन कहता है अगले जनम मोहे सिपाही ही कीजो

रविवार, 11 अक्टूबर 2009

भ्रम

जरा छुआ था
कि
पेड़
आ गिरा मुझपर
कहा ख़बर थीं
अंदर से
खोखला है बहुत

गुरुवार, 8 अक्टूबर 2009

गोया जहर भी दिया तो नकली

जान निकलने में भी ४ घंटे लग गए

वो भला हो , डॉक्टर का

जिसने छाती दबा के

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